नहीं, बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति मानसिक रूप से बीमार नहीं हैं। बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्तियों में विकास की गति धीमी होती है। इसलिए, वे समझने में सुस्त और धीमें होते हैं एवं इन्हें दैनिक जीवन के लिए आवश्यकता विभिन्न कौशल व्यवहारों को सीखने में कठिनाइयां आती है। और आम तौर पर इन्हें बोलने में दिक्कत होती है। इनमें से कुछ को पांचवें वर्ग तक शिक्षित किया जा सकता है जबकि अन्य इस स्तर तक नहीं पहुँच सकते है। दूसरी तरफ मानसिक रूप से बीमार व्यक़्ति का विकास सामान्य होता है। मानसिक बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, यहां तक कि उच्च शिक्षित व्यक़्ति को भी हो सकती है। मानसिक बीमारी आम तौर पर ठीक हो सकती है।