450 से अधिक विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के साथ क्षेत्रीय संस्थान

राजकीय बौद्धिक दिव्यांग जन पुनर्वास संस्थान एक राज्य संस्थान है जो उत्तर भारत के बौद्धिक दिव्यांग आबादी की जरूरतों को पूरा करती है और उन्हें पुनर्वासित करने में मदद करती है।

संस्थान के बारे में
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    पेशेवर के विचार

    ‘‘हम लोगों को हमेशा याद रखन
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    जाँच एवं निदान

    एक गर्भवती माता की जांच अति महत्वपूर्ण होती हे यदि उसके पहले बच्चे में विरूपता मौजूद हो उपापचय संबंधी विकार हो अथवा उसे आनुवांशिक सिंड्रोम के रूप में परिभाषित किया गया हो।
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    प्रशिक्षित एचआरडी

    प्रशिक्षण के माध्यम से 250 से अधिक पुर्नवास पेशेवरों को तैयार किया गया है और वे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को कल्याण के लिए विभिन्न सरकारी, अर्द्धसरकारी गैर सरकारी संगठन एवं निजी क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।
ग्रिड निदेशक
प्रोफेसर एके अत्री, डायरेक्टर, गवर्नमेंट रिहैबिलिटेशन इंस्टिट्यूट फॉर इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटीज, चंडीगढ़
प्रोफेसर एके अत्री, डायरेक्टर, गवर्नमेंट रिहैबिलिटेशन इंस्टिट्यूट फॉर इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटीज, चंडीगढ़
ग्रिड के संयुक्त निदेशक
डॉ. अजीत सिदाना, संयुक्त निदेशक
डॉ. अजीत सिदाना, संयुक्त निदेशक का कहना है कि ज्यादातर बौद्धिक दिव्यांग बच्चे प्रशिक्षणीय और शिक्षणीय होते हैं।
समाचार में
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राजकीय बौद्धिक दिव्यांग जन पुनर्वास संस्थान, सैक्टर 31-सी., चण्डीगढ़ में स्थित है। यहां इसके भवन का उदघाटन  13 अगस्त 2009 को किया गया था।

नैदानिक डेस्क से

प्रतिदिन बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के लिए क्लीनिक वाक् एवं भाषा चिकित्सा, व्यावसायिक चिकित्सा, भौतिक चिकित्सा और आरंभिक हस्तक्षेप।

बौद्धिक दिव्यांगता क्लीनिक का उद्देश्य बौद्धिक दिव्यांगों एवं संबद्ध शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का मूल्यांकन एवं पहचान करना है।  क्लीनिक का शुभारम्भ  वर्ष 1998 में किया गया था। विषेषज्ञों की टीम में मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सीय समाज सेवक एवं परिचारिका थे। वर्तमान में लगभग  13000 से अधिक केसेज की जांच की जा चुकी है।

दिव्यांगता प्रमाण पत्र दिव्यांगों के लिए राष्ट्रीय दिव्यांगता पहचान कार्ड, रेलवे रियायत प्रमाण पत्र का आवेदन पत्र डाउनलोड करें

दिव्यांगता प्रमाण पत्र हेतु फॅार्म

रेलवे रियायत प्रमाण पत्र फार्म

कानूनी संरक्षकता हेतु फॅार्म

हमारे छात्र के विचार

उद्देश्य 1000 से अधिक

आनंदित छात्र

न्यूनतम 1000 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को व्यापक शिक्षण एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।