मिटटी बर्तन अनुभाग-
इस अनुभाग में 16 छात्रो को उनके अनुक्रमिक कौशल व्यवहारों के विश्लेषण के उपरांत बर्तनो को बनाने,सजावटी गमले का निर्माण सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया जाता है । यहाँ सरल,दोहराव,अर्ध कौशल एवं कौशल से सम्बंधित कार्यो को सिखाया जाता है ।बुनियादी कौशल से विभिन्न नए पैटर्न में कौशल का स्थानांतरण किया जाता है । यहाँ मोल्ड बनाने की प्रणाली के लिए नयी तकनीक का चयन किया गया है ताकि हर बच्चा अपनी दिव्यांगता के बावजूद काम कर सके । संचार, कम बुद्धि एवं अंगो की गति सिमित होने के कारण कौशल सिखने की अवधि लम्बी हो सकती है ।यहाँ ज्ञान को रेखांकित करना और उचित कार्य व्यव्हार को विकसित किया जाता है । छात्रों को स्वतंत्र जीवन यापन के लिए मिटटी के बर्तनों से सबंधित कौशल ,सबंधित कार्यात्मक ज्ञान,व्यावहारिक कौशल /कार्य व्यव्हार हासिल करने में सक्षम बनाया जाता है ।
मसाला अनुभाग –
इस अनुभाग में नामांकित 21 छात्रों को पहचान ,उन्नत कौशल,पैकेजिंग कौशल सीखने के बाद उन्हें हल्दी पाउडर, गरम मसाला,धनिया पाउडर ,जीरा पाउडर ,लाल मिर्च पाउडर और बेसन जैसे उत्पादों को पीसने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके इलावा स्वच्छता ,सफाई और छंटाई से संबंधित कौशल के बारे में भी ज्ञान दिया जाता है ।
कैंडल मेकिंग एवं कुर्सी रिकेनिंग अनुभाग-
इस अनुभाग में 21 छात्रों को नामांकित किया गया है ,जिन्हे उच्च गुणवत्तापूर्ण सामग्रियों का उपयोग करते हुए बिना कोई नुक्सान और बगैर लाभ के आधार पर अलग-अलग आकर्ति,आकार एवं डिज़ाइन की मोमबत्तियां बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है ।छात्रों को कुर्सियों पर बुनियादी ताना -बाना पैटर्न जैसे विभिन्न पैटर्न के साथ स्वतंत्र रूप से रिकेनिंग गार्डन,स्टील और साधारण कुर्सियों में भी प्रशिक्षित किया जाता है ।
कारपेंटरी /बढ़ईगिरी अनुभाग-
इस वर्ग में 14 बच्चे नामांकित हैं ।उन्हें बढ़ईगिरी में इस्तेमाल होने वाले औजारों और उपकरणों की पहचान सिखाई जाती है ।साथ ही साथ उन्हें सुरक्षा सम्बन्धी कौशल एवं मापन के बारे में बताया जाता है, इसमें सुरक्षात्मक कपडे, जूते,चश्मे एवं उपकरणों का प्रयोग शामिल है ।उन्हें काम पर सामग्रियों को रखना,एकत्रित करने एवं कई सरल उत्पादों जैसे-बेंच, मंदिर बनाना इत्यादि का उत्पादन करना सिखाया जाता है ।
बुक बाइडिंग अनुभाग -
इस अनुभाग में छात्रों को बुक बाइडिंग से संबंधित कौशल व्यव्हार जैसे कागजातों का क्रमिक रखना,कागजों में छिद्रण,कागजातों को व्यवस्थित करना,किताबो की सिलाई और बाइंडिंग करना इत्यादि सिखाया जाता है ।उन्हें बुक बाइंडिंग के लिए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और राजकीय बौद्धिक दिव्यांग जन पुनर्वास संस्थान के पुस्तकालय से असाइनमेंट मिलते हैं ।वर्त्तमान में इस अनुभाग में 10 बच्चे नामांकित हैं इस अनुभाग के छात्रों को चंडीगढ़ के विभिन्न पुस्तकालयों में रखा जाता है ।
कागज पुनर्चक्रण/ पेपर रिसाइकलिंग अनुभाग -
इस वर्ग में कुल 14 छात्र हैं ।इन्हे यह सिखाया जाता है की बगैर प्रदूषण के एवं पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया के द्वारा बेकार के कागज़ो को बिना किसी रसायनिक प्रक्रिया के लकड़ी मुक्त हस्तनिर्मित पेपर शीट कैसे बनाया जाए । छात्रों को विभिन्न कौशल जैसे पेपर शीट का मोल्डिंग, प्रेसिंग, ड्राईंग ,क्रेजिंग करना सिखाया जाता है ।यहाँ के छात्रों को उम्मीद संस्थान एवं उपहार की दुकानों में नियोजित किया जा चुका है ।
कटिंग एवं टेलरिंग अनुभाग -
इसका लक्ष्य इस वर्ग में नामांकित 18 लड़कियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है । इन्हे कपडे काटने,सिलाई,सुई का काम, कढ़ाई कपड़े सम्बन्धी चित्रकारी और अन्य शिल्प सामग्रियों से सम्बंधित कौशल सिखाये जाते हैं ।यहाँ की कुछ छात्राएँ बुटीक में नियोजित की गई हैं और कुछ छात्राएँ अपने माता - पिता अभिभावक की देखरेख में कार्य कर रही हैं। हमारा उद्देश्य उन्हें उचित प्रशिक्षण के माद्यम से पुनर्वासित करना एवं स्वावलम्बी बनाना है ।
पाक कला और बेकरी अनुभाग -
इसका लक्ष्य इस अनुभाग में नामांकित 19 बालिकाओ को घरेलु और वाणिज्यिक खाद्य सामग्रियों के उत्पादन का पर्याप्त ज्ञान/जानकारी देकर स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बनाना है । साथ ही घर में उन्हें अपनी माँ के कार्यो में हाथ बँटाने एवं आम लोगो को अपनी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाना है । कई छात्रााओं को अलग-अलग स्थानों में स्थित उम्मीद कियोस्कों में नियोजित किया गया है ।छात्राओं को विभिन्न खाद्य सामग्रियों एवं इनके पोषण मूल्यों के बारे में तथा भोजन पकाने में उपयोग की जाने वाली हरेक उपकरणों के बारे में परिचित कराया जाता है ।
आभूषण निर्माण अनुभाग -
आभूषण निर्माण अनुभाग में हाथ से बनी सजावटी सामग्रियां जैसे हार, झुमके और इसके सेट बनाने की कला विद्यार्थियों को सिखाई जाती है। इस अनुभाग में विद्यार्थियों को उचित देखरेख और मार्गदर्शन में आधारभूत और नवीन तरीके से हाथ निर्मित आभूषण बनाना, सुई में धागा डालना, मोती पिरोना, गांठ लगाना, चिमटे आदि उपकरण का प्रयोग, लेवल लगाना और पैकिंग करना सिखाई जाती है। विभिन्न प्रकार के हारों को त्योहारों जैसे दीपावली, करवाचौथ, रक्षाबंधन के लिए बनाई जाती है। कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों में मांगों को ध्यान में रखते हुए वस्तुओं की उत्पादकता बढ़ाई जाती है।