कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ?

  1. Q: क्या बौद्धिक दिव्यांगता मानसिक बीमारी के समान है?
    Answer:

    नहीं, बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति मानसिक रूप से बीमार नहीं हैं। बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्तियों में विकास की गति धीमी होती है। इसलिए, वे समझने में सुस्त और धीमें होते हैं एवं इन्हें दैनिक जीवन के लिए आवश्यकता विभिन्न कौशल व्यवहारों को सीखने में कठिनाइयां आती है। और आम तौर पर इन्हें बोलने में दिक्कत होती है। इनमें से कुछ को पांचवें वर्ग तक शिक्षित किया जा सकता है जबकि अन्य इस स्तर तक नहीं पहुँच सकते है। दूसरी तरफ मानसिक रूप से बीमार व्यक़्ति का विकास सामान्य होता है। मानसिक बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, यहां तक कि उच्च शिक्षित व्यक़्ति को भी हो सकती है। मानसिक बीमारी आम तौर पर ठीक हो सकती है।

     

  2. Q: क्या उम्र बढ़ने के साथ-साथ बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति सामान्य हो जाते हैं?
    Answer:

     नहीं, बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति का मानसिक विकास सामान्य व्यक़्ति की तुलना में धीमा होता है। इसलिए जब उसकी वास्तविक उम्र समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है मानसिक उम्र नहीं बढ़ पाती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ  बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति सामान्य नहीं हो सकते हैं किन्तु गहन  प्रशिक्षण के उपरान्त कुछ हद तक इनमें सुधार लाया जा सकता है। यहां आरंभिक प्रशिक्षण अति महत्वपूर्ण होता है।

  3. Q: क्या यह सत्य है कि बौद्धिक दिव्यांगता कर्मों का फल है, इसलिए इसके बारे में कुछ भी नहीं किया जा सकता है?
    Answer:

     नहीं, ऐसा विष्वास करना कि बौद्धिक दिव्यांगता उसके कर्मों का फल है, इनके माता पिता को अपराध की भावना से मुक़्त होने में मदद करता है। लेकिन यह विष्वास रखना एवं बच्चे को प्रशिक्षण करने का प्रयास न करना और बच्चे को भाग्य के भरोसे छोड़ देना ठीक नहीं है। माता-पिता को यह बताया जाना चाहिए कि वजह जो भी रहा हो बच्चे को प्रशिक्षण करने से उसमें सुधार होगा। बच्चे का प्रशिक्षण जितना जल्दी शुरू किया जाता है, उसमें सुधार की संभावना प्रबल होगी।

  4. Q: क्या बौद्धिक दिव्यांगता ठीक होने योग्य है?
    Answer:

     नहीं, बौद्विक दिव्यांगता एक स्थिति  है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। परन्तु,समय पर और यथोचित हस्तक्षेप बौद्धिक दिव्यांग बच्चों को कई कौशल व्यवहारों को सीखने में मदद कर सकता है।

  5. Q: क्या बौद्धिक दिव्यांगता एक संक्रामक रोग है?
    Answer:

     नहीं, बहुत सारे लोग सोचते  है कि सामान्य बच्चों को बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के साथ मिलने, खाने या खेलने की अनुमति देने से सामान्य बच्चों में भी बौद्धिक दिव्यांगता विकसित हो जाती है। यह गलत है। बौद्धिक दिव्यांग बच्चों और सामान्य बच्चों के बीच परस्पर बातचीत बौद्धिक दिव्यांग बच्चों को विकसित करने में मदद करती है। सामान्य बच्चे बौद्धिक दिव्यांग बच्चों की समस्याओं को समझ सकेंगे और उन्हें स्वीकार कर सकेंगे।

  6. Q: बौद्धिक दिव्यांगता वाले व्यक़्तियों के लिए ये चार कानून हैं?
    Answer:

    राष्ट्रीय न्यास (स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, बौद्धिक दिव्यांगता एवं बहु दिव्यांगता ग्रसित व्यक़्तियों के कल्याण के लिए) अधिनियम, 1999।
    दिव्यांगजन  अधिकार अधिनियम, 2016
    भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम, 1992
    मनसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987

  7. Q: क्या विवाह बौद्धिक दिव्यांगता की समस्याओं का निदान है?
    Answer:

    नहीं, बहुत सारे लोग सोचते हैं कि विवाह के बाद बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति सक्रिय और जिम्मेदार हो जाते हैं अथवा लैंगिक संतुष्टि उस व्यक़्ति को ठीक कर देगा। परन्तु, ऐसा नहीं होता है। विवाह केवल समस्याओं की उलझनों को आगे बढ़ाएगा। जब यह ज्ञात हो जाता है कि बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं हो सकते हैं, तो उसके लिए यह संभव नहीं होगा कि वह अपने परिवार की देख-भाल कर सके।

  8. Q: क्या यह सत्य है कि बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति को कुछ नहीं सिखाया जा सकता है?
    Answer:

    नहीं, बौद्धिक दिव्यांग व्यक़्ति को बहुत कुछ सिखाया जा सकता है। वे अपनी देखभाल करना सीख सकते हैं। इन्हें कार्य करना जैसे पौधों में पानी डालना, बीजों को बोने, मवेशियों की देखभाल करना, फर्स में झाड़ू लगाना, बर्तनों को साफ करना एवं वजन ढ़ोना इत्यादि सिखाया जा सकता है। ये दूसरों के निरीक्षण में कई नौकरियां कर सकते हैं।

  9. Q: कानूनी अभिभावकता पर अक्सर पूछे जाने वाल प्रष्न?
    Answer:

    राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रष्नों का विस्तार से चर्चा की गयी है। कृपया क्लिक करें।