स्कूल

 
विद्यालय में प्रवेश के लिए पात्रता संबंधी मानदंड, नियम और विनियमन।
प्रवेश मानदंड
  •     बौद्धिक दिव्यांग बालक एवं बालिका दोनों समान रूप से विद्यालय में प्रवेश के योग्य होंगे।
  •     बच्चे की आयु 6 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  •     बच्चे की बुद्धिलब्धि (आई.क्यू.) 20 से ऊपर होनी चाहिए।
  •     बच्चे के नामंकन से पूर्व व्यापक रूप से चिकित्सीय, मनौवैज्ञानिक एवं शैक्षणिक अवलोकन/मूल्यांकन किया जाता है।
  •     राजकीय बौद्धिक दिव्यांग-जन पुनर्वास संस्थान के विशेषज्ञों की टीम के द्वारा की जाने वाली अवलोकन में बच्चा शिक्षण एवं प्रशिक्षण हेतु उपयुक़्त  होनी चाहिए।
  •     शौच में प्रशिक्षित एवं वैसे बच्चे जिन्हें अभिरक्षक की जरूरत नही है, को प्राथमिकता दी जाएगी।
आवेदन पत्र के साथ  संलग्न दस्तावेजों की जाँच सूची-
  •     बच्चे का पासपोर्ट आकार का फोटो
  •     बच्चे के परिवार का पासपोर्ट आकार की फोटो
  •     जन्म प्रमाण पत्र
  •     निवास का प्रमाण (राशन कार्ड/पासपोर्ट/वोटर पहचान पत्र/टेलीफोन/बिजली के बिल की कॉपी)
  •     रक़्त  समूह की रिपोर्ट
नियम और विनियम:

अभिभावक यदि वर्ग शिक्षक से मिलना चाहते हों, तो इसके लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। मिलने का समय दोपहर  1:30 बजे से 2:00 बजे तक का है

वैसे अभिभावक जो कार्यालय के बस का उपयोग करते हैं, उन्हें अपने बच्चे को लेने एवं छोड़ने के लिए निर्धारित बस स्टॉप पर आना आवश्यक है। ऐसा नहीं पाए जाने की स्थिति में बच्चे के विद्यालय में वापस ले आया जायेगा। उसक बाद बच्चे को स्कूल से घर ले जाने की व्यवस्था अभिभावकों को स्वंय करनी होगी।

 अीभभावकों को अपने बच्चे के लिए समय की पाबंदी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करनी होगी।
 साल में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है, बेवजह लंबी अनुपस्थिति पाए जाने की स्थिति में उन्हें विद्यालय से निष्काषित किया जा सकता है।    विद्यालय प्राधिकरण बच्चे की संपति/आभूषण आदि के किसी भी प्रकार की क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। अभिभावक यह सुनिश्चित करें की उनके बच्चे के द्वारा विद्यालय में किसी भी प्रकार की महंगी/ कीमती वस्तुएं नहीं लायी जानी चाहिए।
 बच्चे की सभी वस्तुओं पर स्पष्ट रूप से लेबल/नाम लगे होने चाहिए।
 बच्चे को उनके विद्यालय डायरी अनिवार्य रूप से लानी चाहिए, क्योंकि यह विद्यालय और अभिभावक के बीच संचार का एक मात्र साधन होता है।
 अभिभावक अपने बच्चे को प्रतिदिन पूरी विद्यालय यूनिफार्म में अनिवार्य रूप से भेजें।
  प्रासंगिक कागजातों के साथ विधिवत रूप से भरे हुए आवेदन पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है। अधूरे रूप से भरे गए और गलत सूचना दिए जाने पर आवेदन रदूद किए जाने हेतू आप स्वयं उत्तरदायी होंगे।
क्रम संख्या
1. पूर्व व्यावसायिक I-II-III-IV-V
 
 15 से  18 आयु वर्ग के छात्र उन सभी कौशल और व्यवहार को सीखते हैं, जो एक विशिष्टि व्यवसाय के लिए आवश्यक है। यह कार्यात्मक शैक्षणिक (विद्यालय शिक्षा कार्यक्रम ) से व्यावसायिक (कार्य) कार्यक्रम  के बीच एक अति महत्वपूर्ण घटक है। वे व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए पूर्व अपेक्षित कौशल व्यवहार अर्जित करते हैं। उदाहरणस्वरूप बच्चे मसाला पिसना, भरना, छाँटना, संख्या की अवधारणा, बजन अवधारणा, मसाले आदि की पहचान सीखते हैं।
2. माध्यमिक - ए-बी-सी
 
बच्चे जो  11 से 14 आयु वर्ग और माइल्ड से मोडेरेट श्रेणी के है वे माध्यमिक वर्ग में प्रवेश पाते हैं। इन्हें विभिन्न कौशल व्यवहार, जैसे पठन-पाठन , लेखन , संख्या, रूपये-पैसे , समय और सामाजिक कौशल इत्यादि का शिक्षण - प्रशिक्षण दिया जाता है। वे विभिन्न पाठ्यक्रम संबंधी गतिविधियाँ जैसे संगीत, नृत्य, योग, व्यायाम एवं खेल-कूद इत्यादि में भाग लेते हैं।
3. केयर समूह - ए-बी- सी-डी
 
इसमें सिवियर एवं प्रोफाउंड श्रेणी के बौद्धिक दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां इसके चार वर्ग हैं ए, बी, सी और डी। इन बच्चों की बुद्धिलब्धि (आई. क्यू.) 20-34 है एवं इन्हें विशेष संरक्षण एवं देखभाल  की जरूरत पड़ती है। इन बच्चों को दैनिक क्रियाकलापों जैसे भोजन करना, शौच, ड्रेसिंग, श्रृंगार इत्यादि सामाजिक कौशल संप्रेषण एवं मनोरंजनात्मक गतिविधियों में प्रशिक्षित किया जाता है। उनमें से अधिकांश बच्चों में वाक् दोष, समस्यात्मक व्यवहार एवं बहु दिव्यांगता पाए जाते हैं। अतः उन्हें नियमित रूप से विभिन्न थेरापी दी जाती है।।
4. प्राथमिक - ए-बी- सी-डी
 

प्राथमिक अनुभाग में 7 से 10 आयु वर्ग के बच्चे होते हैं। ये बच्चे व्यक़्तिगत , सामाजिक कार्यात्मक, शैक्षणिक और मनोरंजनात्मक क्षेत्र में शिक्षित एवं प्रशिक्षित किए जाते हैं, जिसमें भोजन, शौच, ड्रेसिंग और श्रृंगार कौशल व्यवहार, पठन-पाठन , लेखन, संख्या  रूपये-पैसे एवं समय की अवधारणा शामिल है। यहाँ इडटरैक्टीव बोर्ड, ओवर हेड प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर का उपयोग कर शिक्षण-प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

5. स्वलीनता/आटिज्म अनुभाग यहाँ वैसे बच्चे जिनमें बौद्धिक दिव्यांगता के साथ-साथ स्वालीनता भी मौजूद होती है, उनका निदान किया जाता है। जैसा कि स्वलीनता वाले बच्चों में मुख्य रूप से संप्रेषण, समाजीकरण में कमी, चेतन में दृष्टता पाई जाती है, अतः इन बच्चों को मूल रूप से संप्रेक्षण , कौशल व्यवहार में प्राथमिक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे इनका सामाजिक कौशल व्यवहार/गतिविधियां विकसित हो सके ताकि इसके चिंतन में लचीलापन को बढ़ावा मिल जाए।
6. प्रारंभिक /प्रीपेरेटरी अनुभाग समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान में 3 से 7 आयु वर्ग के बच्चों के लिए  विद्यालय तत्परता/रेडीनेय कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस अनुभाग में सामान्य विद्यालय के पाठ्यक्रम को संसोधन किया गया है। यहाँ बच्चों को समावेशी माहोल हेतु तैयार किया जाता है एवं पूर्व अपेक्षित कौशल प्रशिक्षित किया जाता है एवं इस अनुभाग के द्वारा अब तक 40 छत्रों को सामान्य विद्यालयों में नामांकित किया गया है।
7. खेल समूह

खेल समूह -     इस समूह में  3 से  6 वर्ष की आयु वर्ग के मोडरेट एवं सिवियर बौद्धिक दिव्यांग बच्चे हैं। खेल के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं प्रशिक्षण पर बल दिया जाता है।

 

8. सूचना प्रोद्यौगिकी अनुभाग:

सूचना प्रोद्यौगिकी अनुभाग: इस अनुभाग की स्थापना संस्थान के द्वारा यहां की सूचना प्रोद्यौगिकी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एवं छात्रों तथा कर्मचारियों में सूचना प्रोद्यौगिकी संबंधी कौशल को बढ़ाने हेतु किया गया है।  इस अनुभाग के द्वारा संस्थान के सूचना प्रोद्यौगिकी से संबंधित मामलों जैसे आम लोगों, अभिभावकों, सरकारी एवं अन्य संस्थानों को सूचना उपलब्ध कराना आदि को नियंत्रित किया जाता हैं।
संस्थान की बेवसाइट को संचालित एवं अद्यतन किया जाता है। इस अनुभाग के द्वारा यहां के बौद्धिक दिव्यांग बच्चों को उनके पेशेवर/ सह व्यावसायिक कौशल को बढ़ाने हेतु बुनियादी कम्प्यूटर कौशल का प्रशिक्षण  दिया जाता है|